...

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बस यही एक पल
मैं मीलों चली जाती हूं अक्सर
ख्यालों में टहलते हुए
नदी, पहाड़, झरनों के साथ–साथ बहते हुए
हवा के साथ बादलों में उड़ते हुए
एक– एक पल को उस पल में जीते हुए और
देखती हूं हर पल मौसम का रुख बदलते हुए
मैं मीलों चली जाती हूं अक्सर
ख्यालों में टहलते हुए
खेत– खलिहान जंगलों और रेत पर चलते हुए
और देखती हूं पल पल
खुद के डूबने के डर से परे
समंदर से रेत को आलिंगन करते हुए
मैं मीलों चली...