उम्मीद
चांद आसमान पे
में जमीन पर
एक दूसरे को तकते
चांद मुझ पर तरस खा रहा
मैं चांद पर
चांद सोच रहा होगा
कितनी हरी भरी है दुनिया
फिर भी ये मौन क्यों
क्यों दिख रहा हताश
मैं सोच रहा
इतने तारों के बीच
क्यों चांद दिख रहा...
में जमीन पर
एक दूसरे को तकते
चांद मुझ पर तरस खा रहा
मैं चांद पर
चांद सोच रहा होगा
कितनी हरी भरी है दुनिया
फिर भी ये मौन क्यों
क्यों दिख रहा हताश
मैं सोच रहा
इतने तारों के बीच
क्यों चांद दिख रहा...