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तेरे इश्क़ का दौर
तेरे इश्क़ के जश्न के दौर का हम पर कुछ यूँ असर हुआ
हमारा दिल हमारी कदर ना कर हमारा दुश्मन हुआ

तेरे सुरूर में ये दिल समझ बैठा दुश्मन ज़माने को
बेचारा नादान हमारा दिल अब तरस गया है खुशी देखने को

जनाब इश्क़ वो बाज़ार है जहाँ इनसान अपना सब कुछ गंवा देता है
अपनी जिंदगी की हर खुशी को गिरवी रख बेशुमार दर्द खरीद लेता है

इश्क़ में इंसान जो एक बार पड जाए तो गायब होती है उसकी खुशी
महबूब की बेवफ़ाई उससे छीन लेती है उसके चहरे की हंसी

जनाब हम ये नहीं कहते हैं की इश्क़ और मोहब्बत जिंदगी छीन लेती है
पर बेवफ़ाई इंसान की मासुमियत मिटा कर उसे पत्थर दिल बना देती है... Raj...