उनका बचपन
The following poem is my first one in Hindi, showing the difference between how joyous childhood was earlier, and how it is now.
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जब हमे सुनाया जाता,
कितने अच्छे वे दिन होते,
आज का समय देखा न जाता,
दिनों - रात हम रोते।
पेड़ पर चढ़ना, हम क्या जाने?
जाने हम क्या गिल्ली डंडा?
कंचे नहीं है जाने पहचाने,
बस किताबों का पता है फंडा।
वे बताते उन दिनों...
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जब हमे सुनाया जाता,
कितने अच्छे वे दिन होते,
आज का समय देखा न जाता,
दिनों - रात हम रोते।
पेड़ पर चढ़ना, हम क्या जाने?
जाने हम क्या गिल्ली डंडा?
कंचे नहीं है जाने पहचाने,
बस किताबों का पता है फंडा।
वे बताते उन दिनों...