...

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दिव्य अंश
परिस्थितियों से डरा नहीं मैं
क्योंकि मन दुनिया सा भरा नहीं है,कड़ा नहीं है
फौजियों सा फौलाद हूं मैं
क्योंकि अपनी माता की औलाद हूं मैं
शहजादा नहीं फकीर हूं मैं
क्योंकि उस मस्तक की लकीर हूं मैं,
मैं ज्ञान के सागर सा नहीं
चुल्लू भर पानी की गागर सा हूं मैं,
कैसे बताऊं
कैसे बताऊं.........!!
मैं घमंड में नहीं चूर हूं
मैं तो अपने ही आनंद के सुरूर में हूं
मैं विध्वंस नहीं
मैं दिव्यंश हूं,
मैं विध्वंस नहीं
मैं दिव्यंश हूं....
© divu