...

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ईश्वर कब ख़ुशियों से झोली भर दें ..
ख्वाबों में गुजर रहे दिन रात !
खयालों में पक रहे पुलाव !
हकीकत में मंजिल का पता नहीं !!

मुलाकात तुमसे होगी भी या नहीं !
दिल बहलाने को ख्वाब है मगर
ख्वाबों की सीमा-रेखा पता नहीं !!

मिलन के बहाने रोज़ ढूँढता दिल !
कहाँ ,कब ,कैसे होगा संगम हमारा ,
बहे जा रहे रौ में , परिणति का पता नहीं !!


यहाँ सब कुछ अपने वश में तो नहीं
जब हम ही परवश हो गए तो य़ारो
बस चलते रहो,बँधन मुक्ति का पता नहीं !!

यूँ भी जीया जा सकता है जीवन ,
यादों-वादों को जिन्दा रखकर ,
बस कर्म करते रहे ,फल की चिन्ता को तजकर !!

पर जीना न छोड़ो ,जीवन आशा मत तोड़ो ,
ईश्वर कब खुशियों से झोली भर दें ,
सारा ज़हाँ मुट्ठी में भर दें ,पता नहीं !!

©MaheshKumar Sharma
28/5{2023