...

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।। .. मैं.. ।।
।। अनंत हूं, विशाल हूं, कड़ में बसा ब्रह्मांड हूं,
अमोग हूं, अचूक हूं, बढ़ रहा जो हर समय,
मैं वो विस्तार हूं,
समाए है आज कल, समाया मुझ में ही काल है,
हर घड़ी सृजन हूं मैं हर घड़ी विनाश हूं,
मैं ही आकाश और, मैं ही पाताल हूं,
भू धरा का भार मैं, मैं समुद्र विशाल हूं,
अनंत हूं, विशाल हूं, कड़ में बसा ब्रह्मांड हूं...

ना अब रूकू...