...

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जिन्दगी की लहरें
समुन्दर तेरे हाल पे अब रोना क्या,
मझधार में है ज़िन्दगी तो खोना क्या..

हर लहर एक दूसरे से खेलती है,
कितने भवँर को अंदर झेलती है..

हादसों का मंजर किसी को भी डरा दे,
गोताखोरों का हौसला तक हिला दे..

सासों की कस्ती है तूफानों के हवाले,
ऊपर बैठा मांझी पतवार अब संभाले...