...

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क्यों साल में बस इक दिन, नव वर्ष मनाना है
हर रात को जाना है, हर सुब्ह को आना है
हर सुब्ह नया है जो, हर शाम पुराना है

हर रोज़ बदलनी है, तारीख़ यहाँ पर तो
हर दौर बदलना है, हर दौर निभाना है

हर जन्म यहाँ उत्सव, हर मौत यहाँ जलसा
अपनों को बुलाने का, बस एक बहाना है

टालो नहीं कुछ कल पर, कल किसने यहाँ देखा
जो हाथ में है अपने, क्यों उसको गँवाना है

हर लम्हा मनाओ तुम, हर दिन को सजाओ तुम
क्यों साल में बस इक दिन, नव वर्ष मनाना है

ये नज़्म ग़ज़ल कुछ भी, कह दी जो 'असर' मैंने
कुछ और नहीं मक़सद, बस दिल कि सुनाना है
© Hitendra_Asar

बह्र : २२१ १२२२ // २२१ १२२२ ✍️🌹
आप सबको नव वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाएं🎉🌟 🌞🎶⭐💎🌹😇😊🙏
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