हर किसी के हिस्से में थोड़ा-थोड़ा रह जाऊँगा
हर किसी के हिस्से में थोड़ा-थोड़ा रह जाऊँगा
बन कर राख़ एक दिन मैं भी कहीं बह जाऊँगा
संभाल लेना जो टूटने लगूँ कभी किसी दिन मैं
हूँ तो लोहे सा लेकिन वार पर वार नहीं सह पाऊँगा
नाता नहीं रहा किसी भी नाते से अब मेरा...
बन कर राख़ एक दिन मैं भी कहीं बह जाऊँगा
संभाल लेना जो टूटने लगूँ कभी किसी दिन मैं
हूँ तो लोहे सा लेकिन वार पर वार नहीं सह पाऊँगा
नाता नहीं रहा किसी भी नाते से अब मेरा...