गुनाह-ए-मोहब्बत
जल रहा तन-बदन, हर तरफ धुँआ-धुँआ सा है,
ऐ-दिल-ए-बेक़रार, आख़िर तुझे हुआ क्या है।
किसकी तस्वीर बसी निगाहों में, याद जेहन में,
तड़पती रात में जागे रहे, तुझे और मिला क्या है।
इक़ उम्र...
ऐ-दिल-ए-बेक़रार, आख़िर तुझे हुआ क्या है।
किसकी तस्वीर बसी निगाहों में, याद जेहन में,
तड़पती रात में जागे रहे, तुझे और मिला क्या है।
इक़ उम्र...