...

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*** इन्तज़ार ***
*** कविता ***
*** इन्तज़ार ***
" बस इतना सा कमाल कर दो ,
दिल में उठ रहे तुफानों को शान्त दो ,
रहे इस बेकरारी में मैं ताउम्र ,
इन्तज़ार तो हो तेरा फिर ना मिले हम ,
बस इतना सा कमाल कर दो ,
रोक लो थाम लो कहीं जानें ना दो ,
बस इस ख्याल आरुजू ताउम्र रहे हम ,
बस गम के फसाने और भी होंगे ,
तेरे चाहतों के पैमाने पुराने और भी होंगे ,
रक्स तेरे चाहतों का कहीं और जाने ना दो ,
कुछ कर दो ऐसा कुछ कमाल हो ,
तेरे रुह की बिनाई की कुरबत किसी और कैसे दो ,
तेरा मिलना ना मिलना एक बात तेरी मुहब्बत की ख्वाहिश किसे दु . "

--- रबिन्द्र राम
© Rabindra Ram