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जिंदगी
छोड़ जाते हैं तन्हा जिंदगी के सफर में सब यहां,
ता उम्र साथ कौन देता है भला।
छोटी छोटी परेशानियों से लड़ते लड़ते बदल लेते हैं रास्ते लोग,
एक ही राह के राहगीर कौन होते हैं यहां भला।
जो हमने जिया वो पल अपना है जो खाया वो अन्न अपना है,
जो पहना वो कपड़ा अपना जो पूरा हुआ वो सपना अपना है।
एक मेरे सिवा मेरा साथी कौन है यहां,
अब मेरा साथ कौन देगा भला।
रूठों को मनाएं या रूठे छोड़ दें यूं ही ,
हद्द करते हैं वो भी यूं बात बात पे कौन रूठता है भला।
ता उम्र साथ कौन देता है भला।
© Kaku Pahari
ता उम्र साथ कौन देता है भला।
छोटी छोटी परेशानियों से लड़ते लड़ते बदल लेते हैं रास्ते लोग,
एक ही राह के राहगीर कौन होते हैं यहां भला।
जो हमने जिया वो पल अपना है जो खाया वो अन्न अपना है,
जो पहना वो कपड़ा अपना जो पूरा हुआ वो सपना अपना है।
एक मेरे सिवा मेरा साथी कौन है यहां,
अब मेरा साथ कौन देगा भला।
रूठों को मनाएं या रूठे छोड़ दें यूं ही ,
हद्द करते हैं वो भी यूं बात बात पे कौन रूठता है भला।
ता उम्र साथ कौन देता है भला।
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