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एक ग़ज़ल गुनगुनाना हुआ
जब से दिल का लगाना हुआ
एक गली में ठिकाना हुआ
हम तो आँखों से मारे गए
वज़ह घूँघट उठाना हुआ
दिल को तन्हा जो सबने किया
फिर तेरा आना-जाना हुआ
लाख कोशिश की हमने मगर
दिल तेरा ही दिवाना हुआ
तेरी यादों के साए में फिर
सिगरटों का जलाना हुआ
अब तो हँसते ही रहते हैं हम
मुस्कुराए ज़माना हुआ
तुझ को छू कर के बस फिर फरहान
एक ग़ज़ल गुनगुनाना हुआ
© Farhan Haseeb
एक गली में ठिकाना हुआ
हम तो आँखों से मारे गए
वज़ह घूँघट उठाना हुआ
दिल को तन्हा जो सबने किया
फिर तेरा आना-जाना हुआ
लाख कोशिश की हमने मगर
दिल तेरा ही दिवाना हुआ
तेरी यादों के साए में फिर
सिगरटों का जलाना हुआ
अब तो हँसते ही रहते हैं हम
मुस्कुराए ज़माना हुआ
तुझ को छू कर के बस फिर फरहान
एक ग़ज़ल गुनगुनाना हुआ
© Farhan Haseeb
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