...

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पिता...
वो आवारा सा लड़का
अपनी मस्ती में यारों के संग जो रहता
घर की जिमीदारियों से जो रुकसत था
आज देखोंं जबसे बना एक बच्ची का पिता है
उसमें मानों कई रंगों का बसेरा है
दुनियां जहां की खुशियों ने भी उसमे डाला डेरा है
वो सरफिरा सा लड़का
कितने सब्र से आज है रहता

जो बेफ़िक्री में ज़वानी गुजारा
देखो फ़िक्र में सबकी दिन रात है रहता
अपनी चाहतों को थाम
घर परिवार की खुशियों की परवाह है करता
खुद है फटे कमीज़ में लेकिन घर की सभी जरूरतों का है बखूबी ख्याल रखता
परिवार की हर ख्वाहिश हैं पूरी करता

कैसे क्या करूं की खुश रहे परिवार मेरा हस्ती खेलती रहे ये जहां मेरा
कोई परेशानी या मुसिबत उनके पास न आए
कोई डर उनके मन में घर ना करे
कभी कहीं चूक न जाऊं उनकी ख्वाइशों को पूरी करने में
देखो आज वो बिगड़ा लड़का कितना है सवर गया
जबसे वो एक पिता है बना लड़कियों की गरिमा को उसने है जाना

वो नासमझ अब समझदारी की है बातें करता
उसकी बातों में भी अपनों की परवाह और प्यार है होता
खुद से पहले अपनों के लिए है सोचता
एक लड़का जब बेटे से पिता है बनता
कितने सारे बदलाव उसके जीवन में है आता
नई उमंग और तरंगें उसके ज़िन्दगी में है आता
ये सिलसिला यूंही है चलते जाता
पर आज भी चूक जाते है पिता की भूमिका को नहीं समझ पाते है



सभी रिश्तों की अपनी महत्त्वता होती है इन्हें समझना और सच्ची श्रद्धा उनके प्रति रखना हमारा कर्तव्य होता है इसलिए पूर्ण निष्ठा से हमें उनका मान रखना चाहिए सभी रिश्तों को नाम के लिए नहीं बल्कि दिल से जोड़ना चाहिए।
एक अच्छा इंसान और बेटा ही आगे अच्छा पिता बन सकता है।
© The Unique Girl✨❤️