...

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नफरत की आग
यूं तो बहुत खुश थे हम जिंदगी से अपने
जैसे सच हो रहे थे हर एक सपने
फ़िर न जाने तुम्हे किस की नज़र लग गई
जो तुम धीरे-धीरे मौसम की तरह बदल गईं
न जाने नफरत की चिंगारी कब आग मे बदल गई
इस दिल मे आग लगाने वाले तुम भी न बच पाओगे
इस नफरत की आग में तुम खुद भी जल जाओगे

खुदा ने बनाया है हमें साथ रहने के लिये
ज़िंदगी के कुछ दर्द साथ सहने के लिये
ज़िंदगी के इन दर्दों को तुम तन्हा न सह पाओगे
इस नफरत की आग में तुम खुद भी जल जाओगे

गुनाहगार नहीं हूं तुम्हारा जो यूं बर्ताब करते हो
जो दो पल की खुशी के लिये रिश्तों का हिसाब करते हो
यूं आबाद हो जाओगे तुम जो हमें बर्बाद करते हो
ऐ हमें बर्बाद करने तुम भी बर्बाद हो जाओगे
इस नफरत की आग में तुम खुद भी जल जाओगे

तड़प रहा हूं फिर से साथ पाने के लिये
उन बीते लम्हों को फिर से साथ लाने के लिये
अब ज़िंदगी सिमट गई है मेरी उन लम्हों में
तुम भी उन लम्हों को यूं ही न भुला पाओगे
इस नफरत की आग में तुम खुद भी जल जाओगे

ये वक्त का तकाज़ा है जो बदल गऐ हो तुम
अब ये वक्त ही बतायेगा कितने गुनाहगार थे हम
अगर गुनाह किया है मोहब्बत का तो गुनाहगार तुम भी हो
फिर खुदा की अदालत में तुम भी न बच पाओगे
इस नफरत की आग में तुम खुद भी जल जाओगे