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नफरत की आग
यूं तो बहुत खुश थे हम जिंदगी से अपने
जैसे सच हो रहे थे हर एक सपने
फ़िर न जाने तुम्हे किस की नज़र लग गई
जो तुम धीरे-धीरे मौसम की तरह बदल गईं
न जाने नफरत की चिंगारी कब आग मे बदल गई
इस दिल मे आग लगाने वाले तुम भी न बच पाओगे
इस नफरत की आग में तुम खुद भी जल जाओगे

खुदा ने बनाया है हमें साथ रहने के लिये
ज़िंदगी के कुछ दर्द साथ सहने के लिये
ज़िंदगी के इन दर्दों को तुम तन्हा न सह पाओगे
इस नफरत की आग में तुम खुद भी जल जाओगे
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