...

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बा सब्र हैं सब
बासब्र हैं सब कोई बे-इख्तियार नहीं है..
ऐ शेख तेरी मस्जिद की ये कतार नहीं है..

तरतीब से सीखा है तहज़ीब का सबक..
ऐसा नहीं तलब न हो तलबदार नहीं है..

मुदावा नहीं ऐ तबीब तू तीमारदारी कर..
मयकश हैं सब यहाँ कोई बीमार नहीं है..