...

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मैं थी बहुत अंजान
सदियों पहले मिला था मुझे जन्म
दुनिया में हो रहा था अधर्म
मैं थी बहुत अनजान
न थी फूल काटों की मुझे पहचान
मैं जिस लक्ष्य से आयी थी
शायद पूर्ण न कर पायी थी
मैं जिस लक्ष्य से आयी थी
शायद पूर्ण न कर पायी थी!

मुझे अभी- अभी मिला जन्म
मैं हूँ अभी अज्ञान
मैंने रखा जैसे कदम
मुझे लगा हो रहा है धरती पर दुष्कर्म
मच गया है अति अत्याचार
उठाना पड़ेगा ही इस बार हथियार
मच गया है अति अत्याचार

उठाना पड़ेगा ही इस बार हथियार!
मर जाना है कट जाना है
निर्दयी निर्मम को मार भगाना है
अप्रत्यक्ष को प्रत्यक्ष कर दिखाना है
प्रियवंदा धर्मात्मा का मान बढ़ाना है
मर जाना है, कट जाना है
अप्रत्यक्ष को प्रत्यक्ष कर दिखाना है
प्रियंवदा धर्मात्मा का मान बढा़ना है

सिर्फ एक ही क्यों न बचे
सम्पूर्ण धरती पर
हर अक्षम्य का शमशान बनवाया है
अपनों के संग रह जाना है
लक्ष्य पूर्ण कर मर जाना है
अपनों के संग रह जाना है
लक्ष्य पूर्ण कर मर जाना है
दुनिया के हर कोने में, हर पन्ने पर
छप जाना है
दुनिया के हर कोने में, हर पन्ने पर
छप जाना है
अपनों के संग मर जाना है
अपनों के संग मर जाना है
लक्ष्य पूर्ण कर जाना है
अपनों के संग मर जाना है!

© Neha