...

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ओस की एक बूंद हैं "बेटियाँ"
ओस की एक बूंद सी होती हैं बेटियाँ
स्पर्श खुरदरा हो तो रों देती हैं बेटियाँ

रोशन करेगा तो बेटा बस एक ही कुल को,
दो-दो कुलो की लाज़ होती हैं बेटियाँ

बेटियाँ नही हैं दोस्तो एक-दुसरे से कम,
हीरा हैं अगर बेटा,तो मोती होती हैं बेटियाँ।

काँटो की राहो पर ये खुद ही चलती रहेगी ,
पर ओरो के लिए तो फूल बोती हैं बेटियाँ

बेटियाँ विधि का विधान हैं,दुनियाँ की ये रश्म हैं।
मुठ्ठी में भरा नीर होती हैं बेटियाँ।



"अभिलाषा खरे"