...

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एक बात कभी किसी से कहा नही...
कुछ रह जाता है दिल में शेष,
मगर कभी किसी से कहा नहीं।
ऐसा नहीं है कि कहना नहीं है,
जिससे कहता, वो कभी मिला नहीं।

कह देता मैं उससे जो मुझ सा होता,
जो मेरे दर्द को मेरी तरह समझता।
कभी ऐसा कोई दिखा नहीं,
इसलिए किसी से कहा नहीं।

कभी किसी से लगा था, कह दूं,
अपना दिल उसके दिल पर रख दूं।
मगर वो भी मेरे दिल को छूआ नहीं,
कभी उतना करीब महसूस हुआ नहीं।

इसलिए उससे भी कभी कहा नहीं,
उसे ढूंढ़ रहा, अब तक मिला नहीं।
कभी-कभी लगता है, मिलेगा भी नहीं,
या उस जैसा ईश्वर ने बनाया ही नहीं।

उस जैसा न मिला तो कहूंगा भी नहीं,
अभी भी वो बात है मेरे दिल में,
शायद जीवनभर रह जाए दिल में।
क्योंकि जब तक वो शख्स नहीं मिलेगा,
जो मुझको मेरी तरह समझेगा,


मेरी बातों को चुपचाप सुनेगा,
सुनने के बाद Judge नहीं करेगा।
हमारे बीच जब कोई नहीं रहेगा,
खुदा जब उस पल की गवाही बनेगा।

जब ये सब हो जाएगा, तब मैं उससे
वो शेष रह गई बात कह दूंगा।
अगर नहीं, तो फिर कहूंगा नहीं।

कई बार इंसान मर जाते हैं,
वो बात दिल में ही रह जाती है।
तलाश थी उसको जिस इंसान की,
उसे उस जैसा कोई मिला नहीं।

इसलिए वो मर गया, लेकिन
कभी वो बात किसी से कहा नहीं।
मैं भी ठीक वैसा ही करूंगा,
मिलेगा अगर वो शख्स, तो कह दूंगा।
वरना, मैं भी किसी से कहूंगा नहीं।
© प्यारे जी