...

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सुभद्रा कुमारी चौहान
मेरे भोले मूर्ख ह्रदय ने
कभी न इस पर किया विचार ।
विधि ने लिखी भाल पर मेरे ,
सुख की घड़ियां दो ही चार ।।


अपने काले अवगुंठन को
रजनी आज हटाना मत ।
जला चुकी हो नभ में जो
ये दीपक इन्हें बुझाना मत।।

सुभद्रा कुमारी चौहान के जन्म दिवस पर विशेष।