...

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"पिता"
अपना सब कुछ खो कर भी,
मैं अपने पिता को वापस पाना चाहता हूँ..!
वही मेरे लिए भगवान थे,
जिनको मैं इतना चाहता हूँ..!
छीन लिया भगवान ने,
मेरे प्यारे भगवान को..!
जैसे छीन लिया है तालिबान ने,
यूँ अफगानिस्तान को..!
रह नहीं सकता उनके बग़ैर मैं,
पर रहने को मजबूर हूँ..!
उनके बिना तो मैं जैसे,
एक तुच्छ सा फ़क़ीर हूँ..!
उनके होने से मैं खुद को,
राजा सा समझता था..!
उनके बिना तो जैसे,
मैं एक लुटा पिटा सा चोर हूँ..!
© SHIVA KANT