...

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प्यारे पापा
मेरा स्वर ,मेरी कुनमुनाहट,
को माँ से पहले आपने सुना
लोरियाँ,थपकियाँ, डाँट मेरे हिस्से मे आपकी ही ज्यादा आयी
सच,पापा भी कितने नरम दिल के होते हैं ये मेरे बचपन ने जान लिया।

जब मां को कुछ काम आया
तो आपने मुझे संभाला,
जब स्कूल जाने का वक्त आया तो
आपने मुझे सबसे ज्यादा हौंसला दिया पापा भी बच्चों की जरूरतों को समझते हैं ये आपने हमेशा साबित किया

जब स्कूल फीस की बात आई तो
सर की मुँह की तारीफ से आपका
उत्साह छुपा न रहता,
फिर जब मेरी परेशानीयाँ या डाँट की
बात आई तो आपका अशांत मन छुपा न पाते,
यही आपका चेहरा बतला देता कि
आपकी जिदंगी की धुरी हम हैं।

मैंने जब भी कुछ मांगा तो आपने
उसके पृकार की ही नहीं उसके रंग,
स्वाद अच्छाई को भी समझाया...
और ,हमारी हर बात को गौर किया
यहां तक कि,
दो वाक्यों के बीच की चुप्पी को भी...
तब मैं जान गयी कि पापा भी मां
जैसे सुनने का धैर्य रखते हैं।

जब मैं घर से बाहर पड़ने गई, तो
रोज कमी महसूस की..
फिर जब कभी बात हुई तो
एक छोटा बच्चा बनकर
छोटी-से-छोटी बात को सुना
ताकि मैं जान सकूं कि, वह कमी जो
मैं महसूस करती हूं उसे आप भी महसूस कर सकते हो......

शायद यह छोटी-छोटी बातें लग रही होगीं... लेकिन सच..
एक बेटी की जिंदगी में पिता की बहुत अहमियत होती हैं..
जो बडा़ नाजुक-सा धागा हैं..
वह भले ही आँखों को दिखाई न दे
लेकिन रिश्तों को हमेशा बाँधे रखता हैं....।

रोल मोडल बनकर दिखाना,शिक्षा का सबसे शक्तिशाली तरीका हैं,
जो आपने हर कदम पर बखूबी निभाया हैं..
संघर्ष करना ही अपनी मंजिल पाना हैं, आपने यह पैगाम हमें भेजा है.
आपसे मैंने जाना कि भूल से कुछ गलत हो जाये तो शरमिंदा होने की. जरूरत नहीं है, उसे समय पर न
करना जरुर गलत है।...☺️☺️.

आपकी बेटी😊😊
-सेल्वी👍.