मेरी माँ...
कर्म तुम्हारे अनेक,
परंतु तुम एक ,
मुस्कुराती हुई छवि में,
दर्द छुपे तुम्हारे अनेक,
निष्पक्षता की पहचान हो तुम,
मेरी मां मेरी जान हो तुम ,
किरण हो तुम मेरे धारणा रूपी संसार की,
मार्गदर्शक हो तुम जीवन की जहां की ,
जगत जननी हो तुम,
मैं तो मात्र एक पात्र हूं उस जगत का,
अस्तित्व हो तुम मेरा ,
महा मूल्य तुम और तुम्हारे अमूल्य वचन है ,
मां तुम जगत हो तुम जननी हो,
हे जीवनदायिनी तुम हर कला में निपुण हर रूप से संपूर्ण हो ,
तुम अद्वितीय हो ,
तुम मेरे इन तथ्यों की भी शिक्षिका हो ,
मेरी नेत्र दृष्टि हो तुम,
तुम ही सार हो मेरे जीवन का ,
तुम ही मेरे लिए विधाता हो ,
नमन है तुम्हें जगत जननी ,नमन है तुम्हें।
© meetali
परंतु तुम एक ,
मुस्कुराती हुई छवि में,
दर्द छुपे तुम्हारे अनेक,
निष्पक्षता की पहचान हो तुम,
मेरी मां मेरी जान हो तुम ,
किरण हो तुम मेरे धारणा रूपी संसार की,
मार्गदर्शक हो तुम जीवन की जहां की ,
जगत जननी हो तुम,
मैं तो मात्र एक पात्र हूं उस जगत का,
अस्तित्व हो तुम मेरा ,
महा मूल्य तुम और तुम्हारे अमूल्य वचन है ,
मां तुम जगत हो तुम जननी हो,
हे जीवनदायिनी तुम हर कला में निपुण हर रूप से संपूर्ण हो ,
तुम अद्वितीय हो ,
तुम मेरे इन तथ्यों की भी शिक्षिका हो ,
मेरी नेत्र दृष्टि हो तुम,
तुम ही सार हो मेरे जीवन का ,
तुम ही मेरे लिए विधाता हो ,
नमन है तुम्हें जगत जननी ,नमन है तुम्हें।
© meetali