...

2 views

बुआ का नैहर आना
बुआ जब भी नैहर आती
गांव पहले से जड़ा ज्यादा बदल गया होता
बुआ भी तो कोई सात आठ साल बाद ही आती

बुआ का आना गांव में बसंत की तरह उतरता
भतीजे बुआ के कंधे से एक हाथ ऊपर लंबे हुए मिलते

बुआ गांव के कितने की चक्कर लगाती
जब जिस घर जाती
भौजाई पैर धोती
सिंदूर लगाती
ठिठोली करती
चटक रंग पहिना करिए बबुनी
जल्दीये बूढ़ा जाना है क्या

आठ दस साल बाद नैहर आई लड़की
दीवारों को छू कर बतिया रही है
खोज रही है खपरा वाला घर जो पक्का हो गया है
बगीचे में अपने पसंद के आम जामुन का पेड़ देखने को हुलस रही
संजोग से जो गांव की दूसरे घर वाली जो बेटी आई हो उसी वक्त
दोनों नंगे पांव एक दूसरे की तरफ भागती
किसी पगडंडी पर बैठी देर तक विलापती
धान के खेत का बालियां कांपती

मुझे नहीं पता मेरे बचपन की बड़ी वाली बेटियां जब मिलती तो इतना क्यों रोती
उनके दुख सुख में महीन अंतर होता
ये पुरानी कुर्सी पुराने...