...

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# बेदर्द ज़माना
दुनिया की सोच...
न कहता कुछ, न हंसता है,कितना गुरूर लगता है,
लगाया दोष दुनिया ने, बहुत मगरुर लगता है।
वास्तविकता ...
ज़माने का सताया वह, सभी से दूर लगता है।
बचा न खुश होने को कुछ, बड़ा मजबूर लगता है,
कहे क्या अपने दिल का हाल,गमों से चूर लगता है।
दुनिया के लिए सलाह....
क्या है दुनिया की दिक्कत, देती राय अपनी क्यों,
जख्म दे कर नए ताजे, उन्हें कुरेदती है क्यों ?
✍️🤐© ranjeet prayas