गुजर जायें तो अच्छा है....
पल चार ही सुख के जो गुजर जायें तो अच्छा है
या आज अभी इस पल हम मर जायें तो अच्छा है
ये आंखें ,गुर्दे ये जिगर भी कोई बीमार को दे दो
काम मरने पे किसी के भी गर आयें तो अच्छा है
कोई नहीं भटकता घर वाला गलीयों में शहर में
हम दर बदर भटक कर ये भी कर जाएं तो अच्छा है
सुनो तुम भी कोई खुदा नहीं हो जो ज़मीं पर उतरे हो
तुम्हारे कहने पर हम इस बार डर जाएं तो अच्छा हो
आबाद मकान भी ढह जाते हैं वक़्त आने पर जाना
हम भी इस तरह से जमीं पर गिर जायें तो अच्छा हो
वक़्त अच्छा हो बुरा हो वक़्त पे गुजर ही जाता है
इस तरह हम भी दुनिया से गुजर जाएं तो अच्छा हो
बिखर जाते हैं खुशबू लुटाने वाले गुल भी चमन में
एक दिन टूट कर ऐसे ही बिखर जाएं तो अच्छा हो
संजय नायक "शिल्प"
© All Rights Reserved
या आज अभी इस पल हम मर जायें तो अच्छा है
ये आंखें ,गुर्दे ये जिगर भी कोई बीमार को दे दो
काम मरने पे किसी के भी गर आयें तो अच्छा है
कोई नहीं भटकता घर वाला गलीयों में शहर में
हम दर बदर भटक कर ये भी कर जाएं तो अच्छा है
सुनो तुम भी कोई खुदा नहीं हो जो ज़मीं पर उतरे हो
तुम्हारे कहने पर हम इस बार डर जाएं तो अच्छा हो
आबाद मकान भी ढह जाते हैं वक़्त आने पर जाना
हम भी इस तरह से जमीं पर गिर जायें तो अच्छा हो
वक़्त अच्छा हो बुरा हो वक़्त पे गुजर ही जाता है
इस तरह हम भी दुनिया से गुजर जाएं तो अच्छा हो
बिखर जाते हैं खुशबू लुटाने वाले गुल भी चमन में
एक दिन टूट कर ऐसे ही बिखर जाएं तो अच्छा हो
संजय नायक "शिल्प"
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