वैरी दुनिया
कह के सुनना सुनके कहना मेरा काम नहीं
हमको तो अपनों ने ठुकराया
गैरो की तो कोई बात नहीं,
कल जो थे अपने आज उन में अपनों वाली बात नहीं
अरेहह..., ये तो था मेरी आंखों का धोखा, क्योंकि वो तो कभी थे ही मेरे साथ नहीं
आज की दुनिया में रहते मकान में कोई इंसान नहीं
झोपड़ी मिला करते हैं अक्सर भगवान कयी
हम रहते ऐसे देश में है जहाँ हिंदी का करता कोई सम्मान नहीं ,
बोलो अगर हिंदी तो हमको गंवार कहते हैं सभी लेकिन भूल जाते हैं अक्सर की रहते हैं हम हिंदुस्तान में सभी
गुलामी अब अंग्रेज़ों की नहीं, अंग्रेज़ी की करते हैं हर कोई
लिख दो अंग्रेजी कुछ दो शब्द भी सबको लगे अच्छा चाहे समझ आये कुछ...
हमको तो अपनों ने ठुकराया
गैरो की तो कोई बात नहीं,
कल जो थे अपने आज उन में अपनों वाली बात नहीं
अरेहह..., ये तो था मेरी आंखों का धोखा, क्योंकि वो तो कभी थे ही मेरे साथ नहीं
आज की दुनिया में रहते मकान में कोई इंसान नहीं
झोपड़ी मिला करते हैं अक्सर भगवान कयी
हम रहते ऐसे देश में है जहाँ हिंदी का करता कोई सम्मान नहीं ,
बोलो अगर हिंदी तो हमको गंवार कहते हैं सभी लेकिन भूल जाते हैं अक्सर की रहते हैं हम हिंदुस्तान में सभी
गुलामी अब अंग्रेज़ों की नहीं, अंग्रेज़ी की करते हैं हर कोई
लिख दो अंग्रेजी कुछ दो शब्द भी सबको लगे अच्छा चाहे समझ आये कुछ...