...

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मेरा बेख़बर दिल
मालूम ही नहीं हुआ हमको कि, तेरे इश्क़ में हम
टूटकर कब बिखर गए
मालूम नहीं हुआ हमको कि, तेरे इस अधूरी मुहब्बत में मेरे अल्फाज़ भी कब निखर गए
कुछ इसकदर तुम्हारे दर्द के दरिया में डूबे हुए थे हम, कि मालूम ही नहीं हुआ हमको कि लगाम मेरी कलम से छूटकर तुम
पन्नों पर कब उतर गए
इतना खोए थे तुम्हारी यादों तुम्हारी बातों में हम, कि तुम ही नज़र आए हमको, इस सारे जहान में
हम जिधर गए
मालूम ही नहीं हुआ हमको कि, तेरे इश्क़ में हम
टूटकर कब बिखर गए

© Kumar janmjai