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!!......ख़त.......!
दिल ज़िस्म से निकाल रखा है
तेरे ख़त की चौखट पर मैंने
मैंने लिख दी ज़ुबानी अपनी है
मैंने लिख दी कहानी अपनी है ।।
कई दिनों से कहना चाहता था
चीस ज़िस्म में जगी कुछ अलग से है
तू अपनी सी कुछ मालूम हो
इक तू ही भूले भूलती ना ।।
सौ किस्से है तेरी बातों के
तेरी यादों के तेरी आंखों के
कल उड़ती उड़ती ख़ुशबू आई
महका के चली गई मेरे बागों को ।।
लिख आख़िरी ख़त तेरे नाम
कुछ यादें बिसरी भेज रहा
मैंने तोफ़े में दिल तुम्हें भेजा है
ये धड़कना कब से भूल गया ।।
© avtar Koundal
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