...

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अंतिम सत्य
मौत,
एक अंतिम सत्य,
जहाँ सुकून भी है,
अपने को यकीन भी है,
फिर,
हम क्यों डर जातें हैं,
जब अपने आगोश में लेती है,
मौत |
जीवन के कारण,
और निवारण,
दोनों का परिणाम है,
मन कितना भी चंचल है,
फिर,
कितना भी हो मदहोश,
कहाँ जाओगे प्यारे,
जब पास खडी़ हो,
मौत |
पापा की परियों ने,
समय की घडि़यों ने,
कहाँ,
किसी को छोड़ा है,
कोई कितना भी हो,
बलशाली या हो निर्दोष,
तब कैसे बच पाओगे,
जब खुद ही चुनी हो,
मौत |
© Devesh Shukla