हल्ला बोल
#दमड़ी
चमड़ी रगड़ करता है
दमड़ी रंग भरता है
भाव महंग करता है,
अपनी मन मानी करता है
अफ़सर उसकी चाकरी करता है
बाकी सब घुन की तरह पिसता है,
तेरे साथ को जो वो आतुर था
हाथ जोड़, शीश नवा वो खड़ा था
वादों का पिटारा लिए वो बैठा था,
आशीन अब हुआ जो गद्दी पर
मर...
चमड़ी रगड़ करता है
दमड़ी रंग भरता है
भाव महंग करता है,
अपनी मन मानी करता है
अफ़सर उसकी चाकरी करता है
बाकी सब घुन की तरह पिसता है,
तेरे साथ को जो वो आतुर था
हाथ जोड़, शीश नवा वो खड़ा था
वादों का पिटारा लिए वो बैठा था,
आशीन अब हुआ जो गद्दी पर
मर...