...

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देखा हमनें !
इंसानियत में ना मज़हब देखा हमनें
उस फरिश्ते को जब देखा हमनें

उसमें कुछ तो खास बात रही होगी
जो उस अदा को गौरतलब देखा हमनें

गुलाब में काँटे होना लाज़मी है फिर क्यों...