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बालमजदूरी- एक घातक समस्या
एक सुनसान सड़क से में जा रही थी,
वहां छोटी बच्ची हम सभी के कचरे का बोझ उठा रही थी।
फिर कुछ आगे चलकर उसके जैसे कुछ और बच्चों से मुलाकात हुई,
धूल और मिट्टी से भरे हुए चेहरे थे , पैरो में चपल नहीं थी और कपड़े अलग अलग जगह से फटे हुए थे।
कंधो पर उन्होंने हमारे बैग से भी भारे कचरों के कट्टे चके हुए थे,
आंसुओ को आंखों में भरकर में आगे निकल गई, रुककर कुछ पूछने की हिम्मत ही नहीं हुई।
फिर आगे चलकर कुछ ढाबों, फैक्ट्री और कारघानो में वैसे ही बच्चे दुबारा दिखाई दिए,
हम जिस उमर में खेलते थे उस में वो घर वालो का हाथ बटा रहे।
पर क्या ये मदद का तरीका गलत नहीं है,
खुद के आज और कल को अंधेरे में डाल देना, क्या चंद रुपए जिंदगी से बढ़कर हो गए है😭
जरूरत है इनके माता पिता को जानकारी देने की,
बच्चों को काम ना करवाके उनको पढ़ा लिखा के देश का भविष्य बनाने की।।




© journey to being a engineer 💪