...

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मुंबई! (26/11/2008 को हुए आतंकी हमले पर आधारित)😥🥺🥺
#शहरीकिंवदंती
(Poem written immediately after terrorist attack on Mumbai on 26/11/2008)
🥺🥺

चला आता था इक रेला सा इंसानों का,
जाने क्यों आज गलियों में भीड़ कम है,

होती थी हर रोज़ यहां होली दीवाली,
जाने क्यों हर बाशिंदे की आंख नम है,

सुना था यह शहर कभी सोता नहीं है,
जाने क्यों आज दियों में लौ मद्धम है,

खूनोगारत कर गए चंद सिरफिरे यहां,
रो रहा है हर दिल, फैला हर सूं गम है,

47* का ज़ख्म नासूर बन रिसने लगा है,
जाने क्यों हमारे नश्तरों में धार कम है?!
🥺🥺

47* —सन 1947 भारत के विभाजन का
ज़ख्म यानी पाकिस्तान
नासूर — कैंसर
नश्तर— चाकू, खंजर, तलवार

— Vijay Kumar
© Truly Chambyal