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आया है वसंत...
शीश नमन करते है वंदन,
माँ शारदे के चरणों में करे पुष्प अर्पण।
प्रकृति में छाया हैं नया रंग,
छाई है दिलों में नई उमंग।
माँ शारदे का जन्मदिन,
देखो आज आया है ऋतुराज वसंत।
नव कोपल में कलियां खिल आई,। इस वसंत काल में धरती मुस्काई।
कहीं हो रहा भंवरों का गुंजन,
कहीं हों रहा तितलियों का विचरण।
पीली सरसों खिल उठी है,
जैसे हो कोई नवेली दुल्हन।
कोयल मीठा गान करे,
देख ऋतुराज वसंत।
छोड़े मन के सारे द्वंद्व,
छोड़े सारे अनबन।
आओं नई शुरुआत करे,
यह कहता है ऋतुराज वसंत।
माँ शारदे से करे पुकार,
माँ तेरे दरबार से खाली न लौटना,
हमें अपनी मेहनत पर सफल बनाना।
त्याग अर्पण, दया समर्पण,
ये गुर हमकों सिखलाना,
हों जाए भूल हमसे कोई तो
ज्ञान का दर्पण दिखलाना।
माँ शारदे तेरे बंदे हैं हम,
शीश नमन करते है वंदन।
माँ शारदे का जन्मदिन मनाएं,
इस वसंत के संग
✍️ मनीषा मीना
माँ शारदे के चरणों में करे पुष्प अर्पण।
प्रकृति में छाया हैं नया रंग,
छाई है दिलों में नई उमंग।
माँ शारदे का जन्मदिन,
देखो आज आया है ऋतुराज वसंत।
नव कोपल में कलियां खिल आई,। इस वसंत काल में धरती मुस्काई।
कहीं हो रहा भंवरों का गुंजन,
कहीं हों रहा तितलियों का विचरण।
पीली सरसों खिल उठी है,
जैसे हो कोई नवेली दुल्हन।
कोयल मीठा गान करे,
देख ऋतुराज वसंत।
छोड़े मन के सारे द्वंद्व,
छोड़े सारे अनबन।
आओं नई शुरुआत करे,
यह कहता है ऋतुराज वसंत।
माँ शारदे से करे पुकार,
माँ तेरे दरबार से खाली न लौटना,
हमें अपनी मेहनत पर सफल बनाना।
त्याग अर्पण, दया समर्पण,
ये गुर हमकों सिखलाना,
हों जाए भूल हमसे कोई तो
ज्ञान का दर्पण दिखलाना।
माँ शारदे तेरे बंदे हैं हम,
शीश नमन करते है वंदन।
माँ शारदे का जन्मदिन मनाएं,
इस वसंत के संग
✍️ मनीषा मीना
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