...

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डाय़री
कभी न धोका देने वाली
चंद पन्नो की डायरी
बातों को वो रखती छुपाकर
ना कभी किसी को बतलाती,

हम जो चाहें वो सुन लेती है
आती ना करनी फरियाद उसे
जो बात किसी को कह न पाते
वो बात उसे बतलाते,

हर अच्छी,हर बुरी बात हम
खुद ही खुद को बतलाते
हमने क्या गलती की है
स्वयं ही उतर मिल जाते,

बीते कल को वापिस लाना
संभव नहीं है जग मे आज
यादों को बचाना संभव
कोशिश करके देखो आज,

बीते कल में वापिस जाओ
यादों का संसार बनाओ
भविष्य में वर्तमान ले जाओ
डाय़री को तुम अपनाओ।