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मेरा इश्क
दिल के दरवाजे पर कभी दस्तक तूने ही तो दिया था।
इश्क मैंने ही नहीं मुझसे तूने भी तो किया था।
बोला ना कभी तूने , न बयां अरमान ए हाल किया,
पर दूर होने के ख्यालों ने कभी डराया तो तुम्हें भी था।
मिले जब बिझड़े हुए से कभी, सुकूं में मुस्कुराया तुमने भी था।
न गिला न शिकवा हमें, मिला जो चाहा हमने
न जाने समय का कैसा ये खेल था।
पास रह कर भी दूर रहे हमेशा,
किस्मत को मेरे शायद यही मंजूर था।
❤️ Glory
© All Rights Reserved
इश्क मैंने ही नहीं मुझसे तूने भी तो किया था।
बोला ना कभी तूने , न बयां अरमान ए हाल किया,
पर दूर होने के ख्यालों ने कभी डराया तो तुम्हें भी था।
मिले जब बिझड़े हुए से कभी, सुकूं में मुस्कुराया तुमने भी था।
न गिला न शिकवा हमें, मिला जो चाहा हमने
न जाने समय का कैसा ये खेल था।
पास रह कर भी दूर रहे हमेशा,
किस्मत को मेरे शायद यही मंजूर था।
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