...

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बचपन
हर शैतानी का
तब एक नया बहाना था
हर छोटी बात बात पर
बस थोड़ा मुस्कुराना था
किसी भी बात की तब फिक्र न थी
अपनी हरकतों से
बस सबको हंसाना था ।
हर पल मिट्टी में खेलना था
और दोस्तों के साथ खोए रहना था,
तब थोड़ा सा भी रूठने पर
मनाने वालो की भीड़ थी,
और फिर भी न मनाने पर
मां की हल्की-प्यारी सी डांट थी
ये सब तो,बस बचपन की ही बात थी ।...