नारी हूँ अभिशाप नही
मैं छुईमुई का पेड़ नही
जो छूने से डर जाऊँगी
मैं वो गरजता बादल नही
जो पल भर में थम जाऊँगी
नारी हूँ कोई अभिशाप नही
जो हमेशा ही चुप...
जो छूने से डर जाऊँगी
मैं वो गरजता बादल नही
जो पल भर में थम जाऊँगी
नारी हूँ कोई अभिशाप नही
जो हमेशा ही चुप...