नारी हूँ अभिशाप नही
मैं छुईमुई का पेड़ नही
जो छूने से डर जाऊँगी
मैं वो गरजता बादल नही
जो पल भर में थम जाऊँगी
नारी हूँ कोई अभिशाप नही
जो हमेशा ही चुप रह जाऊँगी
गर सुना गलत किसी से
तो काली रूप दिखाऊँगी
अकेला समझ कर अगर कभी
फायदा उठाना चाहोगे
उन लोगो को एक नया रूप दिखाकर
उनपर भारी पड़ जाऊँगी
नारी हु कोई छुईमुई का पेड़ नही
जो छूने से डर जाऊँगी
जो छूने से डर जाऊँगी
मैं वो गरजता बादल नही
जो पल भर में थम जाऊँगी
नारी हूँ कोई अभिशाप नही
जो हमेशा ही चुप रह जाऊँगी
गर सुना गलत किसी से
तो काली रूप दिखाऊँगी
अकेला समझ कर अगर कभी
फायदा उठाना चाहोगे
उन लोगो को एक नया रूप दिखाकर
उनपर भारी पड़ जाऊँगी
नारी हु कोई छुईमुई का पेड़ नही
जो छूने से डर जाऊँगी