कसक
रोज - दर -रोज वक्त मेरी मुट्ठी से, रेत की मानिंद फिसलता जा रहा हैं
क्या करूँ,कैसे करूँ ? कुछ समझ नहीं आ रहा है?
मानो मेरी अक्ल पर पत्थर पड गए हो जैसे
जिंदा होने पर भी मौत...
क्या करूँ,कैसे करूँ ? कुछ समझ नहीं आ रहा है?
मानो मेरी अक्ल पर पत्थर पड गए हो जैसे
जिंदा होने पर भी मौत...