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मायूसी का ये समा है फिर 2 देशों ने युद्ध का मैदान चुना है
मायूसी का ये समा है फिर दो देशों ने युद्ध का मैदान चुना है .....….
फिर एक बार हर सैनिक ने अपनी देह को बलिदान किया है.....
अपनी अपनी सीमाओं से जंग का ऐलान किया है.....
जाने अनजाने में ही अपनी अपनी सभ्यता को काले पन्नों में लिखा है.....
अब ना जाने कितने दिन और युद्ध का ऐलान किया है......
मायूसी का ये समा है फिर दो देशों ने युद्ध का मैदान चुना है.....
by-Nandini
© story writing and Kavita writing with listening
फिर एक बार हर सैनिक ने अपनी देह को बलिदान किया है.....
अपनी अपनी सीमाओं से जंग का ऐलान किया है.....
जाने अनजाने में ही अपनी अपनी सभ्यता को काले पन्नों में लिखा है.....
अब ना जाने कितने दिन और युद्ध का ऐलान किया है......
मायूसी का ये समा है फिर दो देशों ने युद्ध का मैदान चुना है.....
by-Nandini
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