...

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चूड़ीवाला
आज भी याद आते हैं
बचपन के वो दिन जब
चूड़ियां बेचने
एक अम्मा आती थी,
मोहल्ले की चाची, बुआ, दीदी
सबको वो रंग बिरंगी चूड़ियां
पहनाती थी,
मैं जब मम्मी को चूड़ी
पहनते देखती थी मुझे
भी चूड़ियां पहननी है
यही ज़िद्द करती थी,
वो लाल,हरी,नीली,पीली
कांच की चूड़ियां
अभी भी याद आती है
बचपन बीता समय बदला
अब अम्मा भी नहीं दिखती
अब तो चूड़ियां डब्बे में दुकानों
पे मिलने लगी हैं।
अब वो गली मोहल्ले में
नही बिकती
हां पर जब कभी भी
किसी गांव से गुजरती हूं
तो शायद कभी
कोई मिल जाता है जो अभी भी
गांव की गलियों में चूड़ी ले लो
चूड़ी ले लो चिल्लाता है
मेरी बचपन की यादों को फ़िर
से ताज़ा कर जाता है।
© Tinki