काश....
ऐ काश!कभी ऐसा होता..
उस पार गए 'उन'लोगों से,
कुछ मिलने का ज़रिया होता!
कोई खिड़की या दरवाज़ा सा,
कभी बंद और कभी खुला हुआ
इस अम्बर बीच लगा होता!
जब यादें बोझिल कर जाती,
रो-रो कर...
उस पार गए 'उन'लोगों से,
कुछ मिलने का ज़रिया होता!
कोई खिड़की या दरवाज़ा सा,
कभी बंद और कभी खुला हुआ
इस अम्बर बीच लगा होता!
जब यादें बोझिल कर जाती,
रो-रो कर...