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गजल
याद तेरी महकती रही रात भर ।
रूह उसमे नहाती रही रात भर।।
हंस कर साथ गुजरे पलों की कसक।
नींद दूरी बना कर रही रात भर ।।
चांद भी था मगर बादलों में छिपा।
यूं शमा फड़फड़ाती रही रात भर ।।
सोचता वो दिखे एक पल ख्वाब सी।
बुत परस्ती बनी सी रही रात भर ।।
करवटें याद उसकी बदलती चली।
रूह उसमे नहाती रही रात भर।।
सुभाष सेमल्टी‘विपी’
© All Rights Reserved
रूह उसमे नहाती रही रात भर।।
हंस कर साथ गुजरे पलों की कसक।
नींद दूरी बना कर रही रात भर ।।
चांद भी था मगर बादलों में छिपा।
यूं शमा फड़फड़ाती रही रात भर ।।
सोचता वो दिखे एक पल ख्वाब सी।
बुत परस्ती बनी सी रही रात भर ।।
करवटें याद उसकी बदलती चली।
रूह उसमे नहाती रही रात भर।।
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