पन्नों में दर्ज़ होने लगी.............
पन्नों में दर्ज़ होने लगी वो कहानी हमारी
शब्दों में ऐसे ढ़ल सी गई निशानी हमारी
मुलाकात का ज़िक्र तमाम लफ्ज़ों में था
पन्नों पे है मोहब्बत की वो नादानी हमारी
वो एहसास वो ज़ज्बात आज फिर उठा
मन की उलझनों ये कैसी रवानी हमारी
अनकही बातें की वो मेहक पन्नों में दर्ज़
लिख रही आहिस्ता से ज़िंदगानी हमारी
कुछ पन्ने पे कहां तो कुछ...
शब्दों में ऐसे ढ़ल सी गई निशानी हमारी
मुलाकात का ज़िक्र तमाम लफ्ज़ों में था
पन्नों पे है मोहब्बत की वो नादानी हमारी
वो एहसास वो ज़ज्बात आज फिर उठा
मन की उलझनों ये कैसी रवानी हमारी
अनकही बातें की वो मेहक पन्नों में दर्ज़
लिख रही आहिस्ता से ज़िंदगानी हमारी
कुछ पन्ने पे कहां तो कुछ...