...

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महोब्बत का घर
इस दुनिया से कहीं दूर
एक दुनिया हो अपनी
जहां तेरे मेरे सिवा कोई ना हो
दो दिल एक हों
दो जिस्म एक हों
और सांसो में कोई और न हो
मुस्कुराहट देखकर तेरी
चंद्रमा शर्म आएगा
तेरी बालों को सजाने
सितारा खुद आएगा
तेरे हुस्न को चमकाने
चांद की चांदनी चुरा लाऊंगा
खुद बनकर में भौरा
तेरा तन महेकाऊंगा
तितली ने सलाह की
की उसको आज सजाना है
धरती से कही दूर
उसका आशियाना बनाना है
ये वक्त थम जा जरा
तूने भी महोब्बत में किरदार निभाया होगा
तू साथ था शाहजहां के
इसलिए उसने मुमताज के लिए ताज बनाया होगा


© Akash shri vastav