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लबों पर लब ….
उसकी आँखों से मैं
मय का समन्दर पी जाता
गर वो रख देती
मिरे लबों पर लब अपने
मैं मरता हुआ भी फिर से जी जाता
उसके आग़ोश में सर रख कर सोना
मेरे ख़्वाबों में ही सही मुकम्मल हो जाता
उसके पहलू की ख़ुशबू अब तलक बसी है
ज़हन में मेरे
वो जो फिर से मिलती तो मैं उसका हो जाता
गर वो रख देती
मिरे लबों पर लब अपने
मैं मरता हुआ फिर से जी जाता
#टूकडा_टूकडा_इश्क
© theglassmates_quote
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