...

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वो!
बोहोत दफा खुद से मुलाकात करना चाहती है वो,
पर अतीत को अपने सामने देख कर थम सी जाती है वो।

खिलखिलाती हुई इंसान थी वो,
पर अपनों के तानों ने कही कैद कर लिया है उसको।

रिश्ते खूब निभाना जानती थी वो,
पर आज रिश्तों ने ही उलझा कर रख दिया है उसको।

भरोसा बोहोत था सब पर,
लेकिन दुनियादारी की धोखेबाजी अब तोड़ती जा रही है उसको।

प्यार बोहोत किया सबसे,
पर बदले मैं आज मायूसी महसूस करती आ रही है वो।

कैसे निकाले इस कैद से खुदको,
यही दिन रात सोचा करती है वो।






© Amina Delawala