...

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एहसास....

जो ना समझे तेरे एहसासों को उसपर,
अपने कीमती अल्फ़ाज़ ज़ाया ना कर।
जो ना महसूस करे दिलों के दर्द को,
उसे बेवजह ज़ख्म दिखाया ना कर।

जान ले ये दुनिया ऐसे ही बेरुखी करेगी ए दोस्त!

जो बढ़ाता ही रहे फासला हरदफा ऐसे,
उसे करीब बुला कर आजमाया ना कर।

जो ना समझे तेरी गहरी आंखों की ज़ुबान,
उसे इतना ख़ामोश रह कर सताया ना कर।
जो समझ कर भी नासमझ ही बना बैठा हो,
उसे यूं हर लफ्ज़ इस तरह समझाया ना कर।

तूने जस्बात लिखे और देख पढ़ने वाले ने लफ़्ज़ पढ़े!

जो न समझे शिद्दत से गहराई जस्बातों की,
तू उसे ऐसे इतनी गहराई में ले जाया ना कर।

by Santoshi